हर तारीख पुरानी



हर तारीख पुरानी याद जगा जाती है
भूल सका अभी एहसास दिला जाती है
हर बार मेरा इतिहास मेरे आज से जीत जाता है
घंटों मुझे गहराई में डूबा जाती है
हर तारीख पुरानी याद जगा जाती है.

जब घटा तो था पता इतना सताएगा ये पल
कि इतनी मुश्किल होगी कोई ढूँढने में हल
सारे मंजर के सामने नजर थम सी जाती है
उस लम्हे को अरसे बाद भी करीब पाती है
हर तारीख पुरानी याद जगा जाती है.

कोई अहम् बात से है इसका वास्ता
कोई एक है हर एक इसका राश्ता
ये तो हर एक घड़ी का हिसाब थमा जाती है
कई आम हस्ती को खास बना जाती है
हर तारीख पुरानी याद जगा जाती है.

इतना अजीज था जो मेरे अतीत में
वर्तमान में वो भी है मेरे प्रतीत में
जाने कब कौनसी घटना रुला जाती है
मुझे अधूरे होने का फरमान सुना जाती है
हर तारीख पुरानी याद जगा जाती है
कल को अभी से बेहतर हर बार बता जाती है.


टिप्पणियाँ

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 31 अगस्त 2016 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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