यूँही बारिश में कई नाम लिखे थे
यूँही बारिश में कई नाम लिखे थे ,
अपने हाथों से कई पैगाम लिखे थे
अब तक जमी हैं वो यादों की बुँदे ,
जिनके आगोश में , सुबह शाम लिखे थे ,
आज तनहा हूँ मै तो ये सोचता हूँ ,
अपने अकेलेपन से यही पूंछता हूँ ,
कहाँ हे वो जिसकी खातिर हमने ,
जमाने के कई गुलफाम लिखे थे .
जिंदगी की तो मगर ये कहानी पुरानी है ,
कल कोई और था इसके पैमाने पर ,
आज "अनुपम " की ये कहानी है ,
कोई लाख भुलाए पर केसे भूलेगा ,
जिसे देखकर मोहब्बत के इम्तिहान लिखे थे .
यूँही
बारिश में कई नाम लिखे थे...........
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" गुरुवार 28 जुलाई जुलाई 2016 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंdhanyawad ji
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी रचना
जवाब देंहटाएंthanks rashmi ji join my blog
हटाएंdhanyawad ji jarur
जवाब देंहटाएंBahut badhiya likhtey hai...
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