एक पगली याद बहुत ही आती है



जब यारों की महफ़िल में अचानक
छिड़े चर्चा मोहब्बत बाली,
या फिर नुक्कड़ बस्ती दूर गली में
कोई दिखती है भोली भाली,
करूँ जतन पर,दिल पर मेरे
छुरियाँ सी चल जाती हैं
सच कहता हूँ,एक पगली मुझको
याद बहुत ही आती है

एक नाम जो,तीरथ था मेरा
एक गली जो,काशी मथुरा थी
अब कहाँ रहे वो मंजर सारे
हर ख़्वाहिश भी,कतरा-कतरा थी
भूले भटके कभी कहीं से
उसकी तस्वीर अगर मिल जाती है
सच कहता हूँ,एक पगली मुझको
याद बहुत ही आती है

प्रेम प्रसंग पर,कोई फ़िल्म हो
या मम्मी दीदी वाले नाटक
वधु चरित्र वाली हर लड़की
खोले अतीत वाले फाटक
तब हृदय वेदना,और अश्क़ों को
झूठी,मुस्कान मेरी छल जाती है
सच कहता हूँ,एक पगली मुझको
याद बहुत ही आती है

पाया था,मैंने भी उसको
मन्नतों के लंबे,समर लड़कर
हर आहट पर,सजदा था मेरा
थामा था उसको,गिर पड़कर
अब मैं नहीं!तो फिर कौन?
किसको?मेरा हल बनाती है?
सच कहता हूँ,एक पगली मुझको
याद बहुत ही आती है

जज्बातों को जरा सजा दूँ
गज़ल कोई बन जाती है
सब कहते हैं मैं लिखता हूँ
पर अर्थ तो वो ही लाती है
नींद सुकून उम्मीदें स्वाहा
गर फ़िक्र तेरी पल जाती है
सच कहता हूँ,तू पगली मुझको
याद बहुत ही आती है,
सच कहता हूँ,एक पगली मुझको
याद बहुत ही आती है
~अनुपम~

टिप्पणियाँ

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (17-03-2017) को "छोटी लाइन से बड़ी लाइन तक" (चर्चा अंक-2912) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं
  2. क्या बात है ... मन को छू गयी उस पगली की यादें ...

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह वाह, बहुत बढ़िया

    जवाब देंहटाएं

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