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मेरी दुआओं को असर

मेरी दुआओं को असर नहीं मिलता  खुदके लिए ही अक्सर नहीं मिलता   मेरे लिखने को जिगर नहीं मिलता उस रोज वहाँ तू अगर नहीं मिलता   मैंने ढूंढे हैं बहुत समझने वाले यहाँ इन गीतों को समझे पर नहीं मिलता जो दिल में उतरे आखिरी मोड़ तक  यहाँ वहाँ अब वो नजर नहीं मिलता   इश्क बिकता है बाजार में सुना था मैंने खोजा लेकिन इधर नहीं मिलता कई रूह भी नीलाम सरेआम हो गयी मैं भी लेता पर तू उधर नहीं मिलता   

गुफ्तगू

 वो जब तुम बात करने लगती होना मुझसे     तो खिल उठता है मेरा ये मायूस चेहरा           और ये दिल दौड़ने लगता है               कल्पनाओं के घोड़ों पर              नदी पहाड़ जंगल झरने    फिर तुम जब चली जाती हो यूंही बेरुखी से तो सो जाता है दिल यथार्थ के उदास बिस्तर पर