गुफ्तगू
वो जब तुम बात करने लगती होना मुझसे
तो खिल उठता है मेरा ये मायूस चेहरा
और ये दिल दौड़ने लगता है
कल्पनाओं के घोड़ों पर
नदी पहाड़ जंगल झरने
फिर तुम जब चली जाती हो यूंही बेरुखी से
तो सो जाता है दिल यथार्थ के उदास बिस्तर पर
तो खिल उठता है मेरा ये मायूस चेहरा
और ये दिल दौड़ने लगता है
कल्पनाओं के घोड़ों पर
नदी पहाड़ जंगल झरने
फिर तुम जब चली जाती हो यूंही बेरुखी से
तो सो जाता है दिल यथार्थ के उदास बिस्तर पर
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