संदेश

नवंबर, 2012 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

ye humara tumhara hindustan hai......

चित्र
जुर्म जुल्म और लूटा पाटी ये सब तो यहाँ आम है यहाँ हर एक जुबान वाला बिल्कुल बेजुबान है मंदिर मश्जिद गिरजाघर गुरूद्वारे ये सब मजहब बेचने के खातिर यहाँ लोगों की दुकान है बाजारों में बिकती यहाँ गीता और कुरान है यहाँ इंसान ही बेचता यहाँ कई इंसान है ये कुछ और नहीं यारों ये हमारा तुम्हारा हिंदुस्तान है लोगों को ठगना उनको छलना ये सियासतान है इतनी टूटन है जन जन में फिर भी गुणगान है फ़ालतू के किस्से हैं अब ये की एकता ही यहाँ शान है भीड़ है मौज है मस्ती है रंग रलियों के मेले हैं पर जाने कहाँ खो गया जो मेरा हिंदुस्तान है अरबों की संख्या में हैं पर भेड़ों सी अबाम है शायद इसी कारन हुक्कुमरान यहाँ सभी बेईमान है कौनसी चीज बाकी है यहाँ जिसपर हमे अभिमान है एक इतिहास ही बचा है जिसपर सदा गुमान है जहर दो गालियाँ दो अपनों को खुद ही लूटो ये मुल्क कहाँ ये तो एक खेल का मैदान है -      अनुपम चौबे