एक अदना सा कमरा
मेरे कॉलेज के दिनों में एक अदना सा कमरा था
जहाँ उन दिनों मेरा वक्त गुजरा था
मैंने देखा नहीं उसे अरसे से और क्या पता कभी देख
भी न पाऊं
मगर जिन्दा है अभी भी जहन में यहाँ वहाँ दिल के
किसी कौने में
मैं अकेले ही रहता था वहाँ खुदसे ही बातें करता
था
अक्सर लेटे लेटे घंटों सोचा करता था
मुझे शौक था दीवारों पर तश्वीरें लगाने का
मानो कल की ही बात हो वो तश्वीर आज भी मुझे घूरती
है
कहीं कौने में किताबें खुली पड़ी हैं
मेरे बिस्तर पर सिल्बटें आज भी नयी हैं
कमरे की खिड़कियाँ जो पिछबाड़े में थीं बंद नहीं
होती थीं
पड़ोस की आंटी की आवाज जैसे आज ही गूंजी थी
फिर अचानक एक दिन कोई आया मेरा अपना सा
मुझसे मेरा कमरा बाँटने
उसके साथ बिताई यादें आज भी आती है
घंटों हंसी की आवाज सुना जाती है
एक कूलर लाया था मैं गर्मियों के दिनों में
उसकी पहली ठंडक आज भी गहरी नींद सुलाती है
मैं अपनी किचन में चाय बनाता था उसे भी पिलाता था
लौकी की सब्जी बहुत पसंद थी उसको
मैं अपने हाथों से पकाता था उसको खिलाता था
कैद हैं मेरी जिन्दगी के कई घंटे उधर
बस आजाद होना ही नहीं चाहते
हाँ एक छत भी थी मेरे कमरे के ऊपर
जहाँ से हम चाँद को निहारते थे
बड़ा सुकून मिलता था जब आसमान को निहारते थे
एक पेड़ था आम का मेरे कमरे के आगे
आज भी आम कच्चे हैं
पता नहीं क्यूँ आज तक पके ही नहीं
फ़ोन पर बातें करते करते कई आम तोड़कर रखता था
सुबह सुबह जाकर उसको मैं वही आम दिया करता था
उसे आम बहुत अजीज थे
शायद मुझसे ज्यादा?पता नहीं आज तक कभी पूँछ नहीं
पाया
वो हवा आज भी खुशबू देती है जो उन दिनों में चलती
थी
दूर थे पर बड़े नजदीक ही रहती थी
मेरे
कॉलेज के दिनों में एक अदना सा कमरा था
जहाँ उन दिनों मेरा वक्त गुजरा था.
ऐसा लगा कि अंतिम पंक्तियों में कविता कहीं भटक सी गई है. खा3स कर पंक्ति - दूर थे पर बड़ी नजदीक ही रहती थी- शायद आप उप में कुछ ज्यादा खो गए... कृपया पुनः पढ़ें और आवश्यक समझें तो सही कर लें.
जवाब देंहटाएंअयंगर एम आर.
8462021340
laxmirangam.blogspot.in
Ji shukriya
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (02-08-2016) को "घर में बन्दर छोड़ चले" (चर्चा अंक-2422) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'