कोई कल कह रहा था(मुक्तक)
कोई कल कह रहा था तुम मेरी ही बात करते हो
ज़माना बीत गया किस्सों को फिर भी याद करते हो
जो तुम्हारे सामने था वो तुमने देखा नहीं तब तो
अब तन्हाई में रो रो कर खुद को बर्बाद करते हो.
जो ये पैगाम मैंने पालिया तुमसे मैं कहता हूँ
चले आओ मेरे ही पास ये उम्मीद करता हूँ
मैं सबकुछ भूल जाऊंगा मोहब्बत में तलक अब भी
तेरे आँसू की कीमत आज भी बस मैं समझता हूँ.
तेरे खोने में जो खोना है वो मेरा ही खोना है
तुम्हारे साथ जो गुजरेगा वो मेरा भी होना है
जुड़ी हैं इस तरह साँसे लिपट कल की तरह अब भी
मेरे दिल के महल में आज भी तेरा ही कोना है.
मुझे बर्बाद करके भी कहीं आबाद रहते हो
ये कैसी रहमतें दि हैं मोहब्बत के फ़साने में
मैं सब कुछ भूल भी जाऊँ मगर तुम याद रहते हो.
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