हर पल हर रोज...........


हर पल हर रोज नयी सुरुआत कर रहा हूँ मैं 
खुद को खुद ही संभालें हुए आगे बढ़ रहा हूँ मैं
कुछ अनकहे हालातों से गुजर रहा हूँ मैं 
फिर भी जिन्दगी को जिन्दगी की तरह जी रहा हूँ मैं

अपने अल्फासों को आवाज देने की कोशिश में 
एक नया आगाज कर रहा हूँ मैं
अपने आघातों को लब्जों में बयां करके 
किसी की वाह वाह का इन्तेजार कर रहा हूँ मैं


आज जहाँ मैं हूँ कल कोई और  था कल कोई और होगा 
बस बेसलीका होकर जज्बातों को आम कर रहा हूँ मैं
दिल से उठी लहरों की खातिर ये कलाम  लिख रहा हूँ मैं
यही अंदाज है मेरा सभी को "अनुपम" सलाम कर रहा हूँ मैं 

                                                                                                    -: अनुपम चौबे





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