वो मिला था उन दिनों में मुझे.............






वो मिला था उन दिनों में मुझे जब वो चलते हुए ख्वाब जैसा था
उसकी आँखें भी गुनगुनाती थी वो एक जबाब जैसा था
उसके गेसुओं से छाँव होती थी वो मूरतें सबाब जैसा था
लोग करते थे गुफ्तगू उसकी उसका होना ख़िताब जैसा था
वो खामोश था इमारतों कि तरह फिर भी कहता था दास्ताँ मुझे
वो मिला था उन दिनों में मुझे वो मिला था उन दिनों में मुझे.
हर एक जुबाँ पर नाम था उसका हर धड़कन कि आवाज था वो
सबसे मिलकर भी न मिला सा एक वही अंदाज था वो
या हकीकत या फ़साना या एक नमाज था वो
दिल कि दहलीज पर आया खुदा का ताज था वो
करके बेचैन कई रातों को जगाया था मुझे
वो मिला था उन दिनों में मुझे वो मिला था उन दिनों में मुझे.
जब वो हिरनी के जैसे चलता था मेरे एहसास में वो पलता था
सबसे उपर किया था याद मुझे वो मिला था उन दिनों में मुझे
ये जज्बात बढे सुहाने हैं पर मुद्दत पुराने हैं अब हमारी मोहब्बत के जुदा जुदा ठिकाने हैं
मगर मेरा हाल आज भी आखिरी शाम जैसा है  
काश मैं जान पाता वो आज कैसा है वो आज कैसा है
वो मिला था उन दिनों में मुझे जब वो चलते हुए ख्वाब जैसा था.



टिप्पणियाँ

  1. आपने लिखा....हमने पढ़ा....
    और लोग भी पढ़ें; ...इसलिए शनिवार 29/06/2013 को
    http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
    पर लिंक की जाएगी.... आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
    लिंक में आपका स्वागत है ..........धन्यवाद!

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    उत्तर
    1. धन्यवाद् आपका जो दूसरी बार मुझे आपके ब्लॉग पर प्रकाशित करने का गौरव प्रदान किया आपने यशोदा जी

      हटाएं
  2. बहुत सुंदर यादें ...सुंदर रचना ...!!
    शुभकामनायें ...

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका अनुपमा जी इस अनुपम की तरफ से मेरा ये ब्लॉग आप जॉइन कीजिए ताकि मुझे और ताकत मिल सके कुछ अच्छा लिखने की ..............

      हटाएं
  3. उत्तर
    1. धन्यवाद् कुलदीप जी आपका कृपया कर मेरा ब्लॉग जॉइन करके मेरी हिम्मत को दो गुना कीजिएगा

      हटाएं
  4. बहुत ही अच्छी लगी मुझे रचना........शुभकामनायें ।
    सुबह सुबह मन प्रसन्न हुआ रचना पढ़कर !

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  5. बड़ा आभार आपका कोशिश करूँगा यूँही आपका मन प्रशन्न रहे

    जवाब देंहटाएं

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