मैंने जो चाहा मुझसे वो दूर हो गया ............


मैंने जो   चाहा  मुझसे  वो,  सदा  ही   दूर    हो  गया  
मेरी तन्हाईयों  में  भी, हमेसा  शोर   हो गया 
मैंने चुपके  से मांगी  थी,  दुआ  तुझसे  मेरे  रब्बा 
मिला  तो कुछ नहीं फिर भी, किस्सा मशहूर हो गया.

हमे भी कब तलक था शोक, वीरानी कहानी का
अकेलेपन  की कशमकश  में, डूबी  हुई  जवानी  का
भरी जो सिसकियाँ मैंने, न लायी सामने सबके
होगा  हरदम सदा चर्चा, मेरी लिखी निसानी का.

अगर मैं मर भी जाऊं तो, मुझे रणछोर मत कहना
मेरी खुद ख़ुशी को तुम, कभी कमजोर मत करना
बड़ी हिम्मत से छोड़ी है , तमन्ना जीने की यारों
मेरी मौत का चर्चा, कभी भी  आम मत करना.
                                       -:अनुपम चौबे 

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