वो कहती थी बाबा..........
वो कहती थी बाबा,मैं न बोझ बनूँगी
कंधे से कन्धा, मिलाकर चलूंगी
जमाने की चिंता, तू न कर बाबा
मैं ज़माने से आगे,निकल कर रहूंगी
मुझे भी हक़ है, जीने का बाबा
माँ की ममता में ,पलने का बाबा
तेरे साथ मीलों , चलने का बाबा
मुझे न मारो, मेरे आने के पहले
मैं तुम्हारे सर, का ताज बनूँगी
जैसे तू पालेगा, बेसे पलूंगी.
वो कहती थी बाबा, मैं न बोझ बनूँगी
कंधे से कन्धा, मिलाकर चलूंगी
तू मेरी फ़िक्र , न कर ओ बाबा
मैं खुद की हिफाजत,खुद ही करुँगी
न चिंता कर, दहेज़ की बाबा
मैं ऐसी शादी, कभी न करुँगी
तू सब्र कर, और मेरा हाथ पकढ़ बाबा
मैं तेरा सहारा बनूँगी
मुझे जन्म लेने दे बाबा
मैं तेरे आँगन में हर दम खिलूंगी
वो कहती थी बाबा, मैं न बोझ बनूँगी
कंधे से कन्धा, मिलाकर चलूंगी
मैं तेरा ही अंश हूँ बाबा, तेरे जैसी ही बनूँगी
तुझे भी नाज हो मुझपर, करम एसा करुँगी
मैं बेटी हूँ तेरी बाबा, मगर बेटा बनूँगी
मुझे अपनालो बाबा, मैं तेरी आँखों में सजुंगी
तेरे घर की मैं रौनक बनूँगी
एक बार बस, मुझे तू देख बाबा
मैं तुझे, कभी न निराश करुँगी
वो कहती थी बाबा, मैं न बोझ बनूँगी
कंधे से कन्धा, मिलाकर चलूंगी
-अनुपम चौबे
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