ऐ देश मेरे.............
मैं तेरा एहसान कैसे चुकाऊ, मिला तुझसे है क्या कैसे बताऊ
ऐ देश मेरे सौबार, जान तेरे दर पर लुटाऊं
तमन्ना इतनी है मरने से पहले तेरे मैं काम आजाऊँ
तुझे छोड़ कर जाने का ख्याल न एक पल लाऊं
तेरी माटी की खुसबू की महक से चैन मैं पाऊं
छोड़ मंदिर की घंटी और मस्जिद की अजानों को
समूचे विश्व में बस एक तेरा गुणगान गाऊं
न मुझको लालशा है धन धान्य और न महलों की
न झूटी शान शौकत और न बेमोल ढेलों की
मुझे बस आरजू है तेरे नाम की दौलत कमाऊं
कभी गंगा कभी यमुना को छूकर नित नित सीश झुकाऊं
जुड़ा है तुझसे जो इतिहाश उसको फिर से दौहराऊं
लिखे जो गीत मेरी आत्मा पर हर एक जुबान पर लाऊं
हर एक चेहरे की खुद मुस्कान बंजाऊं
जय हो जय हो का जयगान कर्बाऊं
वन्देमातरम कहने का मतलब सबको समझापाऊं
है दबा मेरे सीने में क्या तुझको कैसे मैं बतलाऊं
ऐ देश तेरे मायने हैं क्या तुझको कैसे मैं जतलाऊं
:-अनुपम चौबे
दबा मेरे सीने में क्या तुझको कैसे मैं बतलाऊं..
जवाब देंहटाएंaapke deshbhakti ke bhaav ko naman ...
dhanyabad ji
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