मेरी दुआओं को असर नहीं मिलता
मेरी दुआओं को असर नहीं मिलता
खुदके लिए ही अक्सर नहीं मिलता
मेरे लिखने को जिगर नहीं मिलता
उस रोज वहाँ तू अगर नहीं मिलता
मैंने ढूंढे हैं बहुत समझने वाले यहाँ
इन गीतों को समझे पर नहीं मिलता
जो दिल में उतरे आखिरी मोड़ तक
यहाँ वहाँ अब वो नजर नहीं मिलता
इश्क बिकता है बाजार में सुना था
मैंने खोजा लेकिन इधर नहीं मिलता
कई रूह भी नीलाम सरेआम हो गयी
मैं भी लेता पर तू उधर नहीं मिलता
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (28-07-2018) को "ग़ैर की किस्मत अच्छी लगती है" (चर्चा अंक-3046) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत खूब, स्नेहाशीष
जवाब देंहटाएंखूबसूरत..
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