जितना है याद तुम्हें
जितना अब तक है याद तुम्हें, मैं उतना भूल आया हूँ तुमने हर राह दिये थे काँटे, मगर मैं फूल लाया हूँ जिन गलियों की अमर कहानी, जिनकी यादें पानी पानी कुछ बची है शब्दों में मेरे, उन गलियों की धूल लाया हूँ कुछ भ्रम थे मेरे टूट गए थे, जब अपने ही रूठ गए थे जब मैं बदला और वो बदले, कुछ बदले हुए उसूल लाया हूँ जो ख़त रह गए अनखोले से, जो बोल रहे अनबोले से जो बाकी है अब तक संदेशे, एसे ही फिजूल लाया हूँ जहाँ पढ़े थे प्रेम विषय पर, सब वारा था एक विजय पर एहसासों के ऐसे पावन, मैं यादों के स्कूल लाया हूँ जितना अब तक है याद तुम्हें, मैं उतना भूल आया हूँ तुमने हर राह दिये थे काँटे, मगर मैं फूल लाया हूँ