तुझे जो पालिया हमने(मुक्तक-a sad heart)
तुझे जो पालिया हमने तमन्ना कुछ नहीं हमको
तुझे जो खोदिया हमने गिला भी कुछ नहीं हमको
जो पाया था वो खोया है इसमें अफ़सोस कैसा है
मगर दिल से मेरे पूछो सिला ये क्यूँ मिला हमको.
मैं तेरा हूँ तू मेरी है फिर क्यूँ इनकार करती है
खुदी में चूर है इतना खुदी पर बार करती है
मैं प्यासा हूँ समुन्दर होकर भी इक बूँद का यारो
तू समां ऐ इश्क मैं परवाने को क्यूँ बर्बाद करती
है.
जो मेरी आँखों का पानी है मोहब्बत की निशानी है
जो तू छूले तो सागर है जो छलका दूँ कहानी है
मोहब्बत का हर एक पल मेरे दिल में बसा अब तक
इश्क माना गमजदा है मगर फिर भी रूमानी है.
जमाने भर की खुशियाँ फिर तेरे
क़दमों में लाया हूँ
तेरे दिल में बसा है जो वही फिर दौर लाया हूँ
मैं तुझसे पूछता हूँ ये बता मेरी खता क्या थी
मैं मिटकर भी तेरी खातिर संबर कर आज आया हूँ.
बहुत सुन्दर कविता । अभिनंदन ।
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (04-09-2016) को "आदमी बना रहा है मिसाइल" (चर्चा अंक-2455) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
Dhanyawad
जवाब देंहटाएंnice
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